[Reader-list] डॉ. सुनीलम और दयामनी बरला की रिहाई की मांग को लेकर जंतर मंतर पर साझा विरोध प्रदर्शन

asit das asit1917 at gmail.com
Sat Nov 24 13:05:50 IST 2012


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> *जन आंदोलनों पर दमन बंद करो!
> **डॉ. सुनीलम और दयामनी बरला को रिहा करो!!***
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> जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन
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> *11 बजे, 26 नवंबर, 2012 से ***
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> प्रिय साथी,
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> सोमवार 26 नवंबर, 2012 को* *डॉ. सुनीलम और दयामनी बरला की रिहाई की मांग को
> लेकर आयोजित साझा विरोध प्रदर्शन में शामिल हों.
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> डॉ सुनीलम और दयामानी बरला को जेल में रख कर भारत का शासक वर्ग कारपोरेट जगत का
> हित साधने में लगा है। डॉ. सुनीलम, शेष राव और प्रहलाद अग्रवाल को बैतूल जिले
> के प्रथम सत्र न्यायाधीश एस.सी. उपाध्याय द्वारा मुलताई गोली कांड में आजीवन
> कारावास की सजा सुनाई गई। 12 जनवरी, 1998 को बैतूल जिले के मुलताई तहसील में
> पुलिस ने गोली चालन कर 24 किसानों को मौत के घाट उतार दिया और 150 किसानों
> को घायल किया। ‘आजाद’ भारत में इतने बड़े जनसंहार कराने वाले शासक वर्ग के एक
> भी दोषी अधिकारी या राजनीतिक को कोई सजा नहीं हुई। सजा हुई भी तो उन किसान
> नेताओं को जो अन्नदाता कहे जाने वाले किसानों की जायज मांग को लेकर प्रदर्शन
> का नेतृत्व कर रहे थे।
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> दयामनी बरला को झारखंड सरकार द्वारा 16 अक्टूबर, 2012 से गिरफ्तार कर के जेल
> में रखा गया है। झारखंड में इस आदिवासी महिला को जनता के हित में सघर्षों के
> लिए जाना जाता है। झारखंड सरकार जो कि जनता के संसाधनों को कारोपरेट जगत के
> हाथों बेचने के लिए विख्यात है उसकी नीतियों का लगातार दयामनी पर्दाफाश करती
> रही हैं। दयामनी दुनिया के सबसे बड़ी स्टील प्लांट कम्पनी के विरोध का
> नेतृत्व भी कर रही थी जो खूंटी तोरपा में आर्सेलर-मित्तल के द्वारा लगना था।
> पूंजीवादी परस्त नीतियों के विरोध के कारण ही दयामनी को गलत तरीके से जेलों
> में रखा गया है।
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> दयामनी को 16 अक्टूबर, 2012 को 6 साल पुराने मामले में जेल जाना पड़ा। दयामनी
> को उस मामले में जेल जाना पड़ा जिसमें भारत सरकार भी मानती है कि भ्रष्टाचार
> हो रहा है। 29 अप्रैल, 2006 को अनगड़ा में ग्रामीणों द्वारा मनरेगा में हुए
> भ्रष्टाचार के विरोध और जॉब कार्ड की मांग को लेकर विरोध किया गया था उस
> विरोध प्रदर्शन में दयामनी भी थी।
>
> दयामनी को जेल जाने के बाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश टाटिया और
> न्यायाधीश जया राय की खंडपीठ ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि पैरा
> मिलिट्री फोर्स लगाकर निर्माण कार्य करवाया जाये। झारखंड सरकार उसके बाद
> बहुत भारी मात्रा में फोर्स लगाकर निर्माण कार्य करवा रही है और जनता के
> विरोध को कुचलने के लिए कई सौ ग्रामीणों पर झूठे मुकदमे फिर से लगा दिये गये
> हैं। झारखंड उच्चन्यायालय के मुख्यन्यायाधीश जो सुनवाई कर रहे हैं स्वयं ही
> उस ‘ला यूनिर्वसिटी’ के चान्सलर हैं जिसे इस जमीन का एक हिस्सा मिल रहा है।
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> डॉ. सुनीलम और दयामनी के उदाहरण आम जनता के मन में न्यायापालिका की
> स्वायत्तता और स्वतंत्रता पर गम्भीर सवालिया निशान खड़े करते हैं, जो किसी भी
> तरह से जनतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
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> इस लिए हम मांग करते हैं कि-
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> ·         डॉ. सुनिलम, शेष राव, प्रहलाद अग्रवाल और दयामनी बारला को तत्काल
> रिहा करो।
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> ·          डॉ. सुनिलम, शेष राव, प्रहलाद अग्रवाल और दयामनी बारला पर दर्ज
> फर्जी मुकदमें वापस लिए जाए।
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> ·         मुलताई गोली कांड की न्याययिक जांच हो।
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> ·         पेंच परियोजना व नगड़ी में किसानों की भूमि अधिग्रहण बंद किया जाये।
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> अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
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> डॉ. सुनीलम-दयामनी बारला रिहाई कमेटी
> ए- 124/6, कटवारिया सराय, नई दिल्ली 110016
> फोन – 9999046291
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