[Reader-list] Invitation to a seminar by Sadan Jha

Praveen Rai praveenrai at csds.in
Fri Aug 12 05:37:34 CDT 2016


भारतीय भाषा कार्यक्रम, सीएसडीएस की ओर से आयोजित गोष्ठी में आपका स्वागत है।





*भारतीय इतिहास में रंग*

*सदन* *झा*





16 अगस्त, 2016, *​*शाम 5 बजे

सेमिनार रूम, सीएसडीएस

*(**चाय**: 4.30 **से**)*





*"**समान भार में काजल और फिटकिरी लें**, **इससे दुगुना मांजू मिलायें.*

*               इसमें तिगुना गोंद मिलायें और फिर बाज़ुओं की ताक़त (का उपयोग
करें)."*

*                                                           ---**काज़ी अहमद**,
**ई.सं.**1606.[1]
<https://mail.google.com/mail/u/0/?tab=wm#m_5044080296137253375__ftn1>*



रंग का इतिहास, जो भारत में कम ही लिखा गया, यदि हो और यदि भारतीय परिवेश में
हो तो कैसा हो? इसी बेहद मामूली सवाल के इर्द-गिर्द ताना-बाना बुनने की जद्दो
जहद है यह पर्चा. रंग को हमने अक्सर ही कला के विमर्श के अंतर्गत देखा किया
है. यहाँ मैं रंग को सामाजिकता की पेचीदगियों के मद्देनज़र रखकर इतिहास में
जाने का प्रयास करूँगा. इस सामाजिक धरातल का बहुत नज़दीकी और गहरा ताल्लुक़
सत्ता (पावर) और मूल्य-बोध से रहा है. ज़ाहिर सी बात है कि समय के साथ इन सभी
वृतों के मायने और दायरे भी बदलते रहे हैं. एक तरफ़ तो यह आलेख रंग और उनमें
निहित पवित्रता की तरफ़ रुख़ करता है तो दूसरी तरफ़ उन औपनिवेशिक प्रयासों की
बात करेगा जिसमें अहम मसला रंग को जिंसी (कॉमोडिटी) पहचान देने का था. एक
बाज़ार क़ब्ज़ियाना था, विज्ञान की भाषा में जानकारियां इकठ्ठी करनी थी. एक
लम्बे काल खंड की व्यापक पृष्ठिभूमि में कुछ बाल-क़दमों के साथ यह पर्चा रंग,
समाज और मूल्यों के बदलते आयामों से जुड़े कुछ सवालों को उठाने का प्रयास भर है.



सन्दर्भ:
* ------------------------------ *

[1]
<https://mail.google.com/mail/u/0/?tab=wm#m_5044080296137253375__ftnref1>
Minorsky, V. (Trans.). (1959). Calligraphers and painters: A treatise by
Qadi Ahmad, son of Mir Munshi (circa A.H. 1015/ A.D.1606) (Vol. III [2]).
Washington: Smithsonian Institute Freer Gallery of Art Occasional Papers.



*वक्ता* *परिचय**: *


पेशे और प्रशिक्षण से इतिहासकार डॉ. सदन झा फ़िलहाल सूरत के सेंटर फ़ॉर सोशल
स्टडीज़ में असोसिएट प्रोफ़ेसर हैं। उनकी गहरी दिलचस्पी प्रतीकों के सामाजिक
इतिहास में रही है। हाल में केंब्रिज युनिवर्सिटी से छपी उनकी किताब का शीर्षक
है: *Reverence, Resistance and Politics of Seeing the Indian National Flag*
<http://www.amazon.in/Reverence-Resistance-Politics-Seeing-National/dp/1107118875/ref=sr_1_1?s=books&ie=UTF8&qid=1453442302&sr=1-1&keywords=sadan+jha>


-- 
Praveen Rai
Academic Secretary
Centre for the Study of Developing Societies
29, Rajpur Road
Delhi - 110054
Phone: 91-11-23942199
http://www.csds.in/praveen.rai


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